durga pooja kaise kare - दुर्गा पूजा कैसे करे

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durga pooja kaise kare

कोई भी पूजा और मंत्र का जप बिना हवन के अपूर्ण है। किसी भी वैदिक पूजा में तो हवन का महत्व और बढ़ जाता है।

 ग्रहों के बीज मंत्र की निश्चित संख्या होती है, उतनी संख्या में जप या कलयुग में तो संख्या का चार गुना जप करना पड़ता है उसका दशांश हवन अति आवश्यक है।

नवरात्र में माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए दुर्गाशप्तशती के विभिन्न मंत्रों से माता को प्रसन्न करने के लिए हवन करते हैं।


durga pooja kaise kare



आम की लकड़ी आमतौर पर हवन हेतु प्रयोग की जाती है। हवन की सम्पूर्ण सामाग्री चाहिए।

 जौ का प्रयोग नवरात्र के हवन में अवश्य करना चाहिए। तिल के प्रयोग से आध्यात्मिक उत्कर्ष एवं कष्टों का शमन होता है।

 गुड़ का प्रयोग मंगल और सूर्य ग्रह को प्रसन्न करने के लिए है। चीनी चंद्रमा और शुक्र के लिए है। गाय के ही घी का प्रयोग करें।

 घी अग्नि का मित्र और शुक्र का प्रतीक है। सूखे हवन वाले नारियल का प्रयोग अंत में करते हैं। इस पर घी का लेपन करके अग्नि को समर्पित करते हैं।

हवन नवरात्र पूजा की परिपूर्णता है। माना जाता है क‍ि इससे माता प्रसन्न होती हैं और ग्रहों को भोजन मिलता है।

एक विशेष बात, तांत्रिक पूजा के हवन की विधि और द्रव्य वैदिक पूजा से अलग होते हैं।

durga pooja kaise kare



 बगलामुखी पूजा के हवन में सरसों का प्रयोग किया जाता है। नवग्रह की लकड़ी का प्रयोग आपको प्रत्येक हवन में करना ही करना है।

दुर्गासप्तशती में सप्तश्लोकी दुर्गा में वर्णित मंत्रों से हवन अवश्य करें।

बीज मंत्र - ॐ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः है - इससे हवन करें।

देहि सौभाग्य मारोग्यम देहिमें परमम सुखम, रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि। - इस महामंत्र में सभी मनोकामनाएं सन्निहित हैं।

श्री रामचरितमानस के किसी भी मंत्र से भी हवन कर सकते हैं।

नवरात्र में ब्रह्ममुहूर्त में श्री राम रक्षा स्तोत्र में वर्णित किसी भी मंत्र से हवन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

मुकदमे में विजय और विजय की प्राप्ति हेतु तथा राजनीति में सफलता हेतु श्री बगलामुखी मंत्र से हवन करें।

श्री हनुमान चालीसा के मंत्रों से भी हवन कर सकते हैं।

नवरात्र‍ि में हवन का महत्‍व    


 कोई भी पूजा और मंत्र का जप बिना हवन के अपूर्ण है। किसी भी वैदिक पूजा में तो हवन का महत्व और बढ़ जाता है।

ग्रहों के बीज मंत्र की निश्चित संख्या होती है, उतनी संख्या में जप या कलयुग में तो संख्या का चार गुना जप करना पड़ता है उसका दशांश हवन अति आवश्यक है।

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नवरात्र में माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए दुर्गाशप्तशती के विभिन्न मंत्रों से माता को प्रसन्न करने के लिए हवन करते हैं।

आम की लकड़ी आमतौर पर हवन हेतु प्रयोग की जाती है। हवन की सम्पूर्ण सामाग्री चाहिए।

 जौ का प्रयोग नवरात्र के हवन में अवश्य करना चाहिए। तिल के प्रयोग से आध्यात्मिक उत्कर्ष एवं कष्टों का शमन होता है।

 गुड़ का प्रयोग मंगल और सूर्य ग्रह को प्रसन्न करने के लिए है। चीनी चंद्रमा और शुक्र के लिए है। गाय के ही घी का प्रयोग करें।

घी अग्नि का मित्र और शुक्र का प्रतीक है। सूखे हवन वाले नारियल का प्रयोग अंत में करते हैं। इस पर घी का लेपन करके अग्नि को समर्पित करते हैं।

हवन नवरात्र पूजा की परिपूर्णता है। माना जाता है क‍ि इससे माता प्रसन्न होती हैं और ग्रहों को भोजन मिलता है।

 एक विशेष बात, तांत्रिक पूजा के हवन की विधि और द्रव्य वैदिक पूजा से अलग होते हैं।

बगलामुखी पूजा के हवन में सरसों का प्रयोग किया जाता है। नवग्रह की लकड़ी का प्रयोग आपको प्रत्येक हवन में करना ही करना है।

दुर्गासप्तशती में सप्तश्लोकी दुर्गा में वर्णित मंत्रों से हवन अवश्य करें।

बीज मंत्र - ॐ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः है - इससे हवन करें।

देहि सौभाग्य मारोग्यम देहि में परमम सुखम, रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि। -

 इस महामंत्र में सभी मनोकामनाएं सन्निहित हैं।

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श्री रामचरितमानस के किसी भी मंत्र से भी हवन कर सकते हैं।

नवरात्र में ब्रह्ममुहूर्त में श्री राम रक्षा स्तोत्र में वर्णित किसी भी मंत्र से हवन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

मुकदमे में जीत और विजय की प्राप्ति हेतु तथा राजनीति में सफलता हेतु श्री बगलामुखी मंत्र से हवन करें।

श्री हनुमान चालीसा के मंत्रों से भी हवन कर सकते हैं।


ये भी जानें :


महामृत्युंजय मंत्र से हवन भी आपको स्वास्थ्य सुख प्रदान करेगा।


  1. माता दुर्गा के 32 नाम से हवन करें।
  2. माता के 108 नामों से हवन करें।
  3. नवरात्र में सिद्धिकुंजिकास्तोत्र का पाठ करके उसमें वर्णित बीज मंत्र से हवन करें।
  4. इस प्रकार नवरात्र में हवन का विशेष महत्व है। किसी भी मनोकामना की पूर्ति हेतु हवन आवश्यक है। 
  5. माता जगतजननी आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करेंगी


 नवरात्रि (Navratri 2018) का खास पर्व 10 अक्‍टूबर से शुरू हो चुका है। नवरात्र के इन 9 दिनों भक्‍तजन मां के नौ स्‍वरूपों की पूजा करते हैं तथा आखिरी दिन कन्‍या पूजा कर के इसका समापन करते हैं।

इसका एक प्रचलित नाम कंजक भी है जिसके बिना नवरात्र व्रत को अधूरा माना जाता है। कन्‍या पूजा अष्‍टमी या फ‍िर नवमी के दिन किया जाता है।

यदि कन्‍या पूजन पूरी विधि विधान के साथ ना किया गया तो माता रानी रुष्‍ट हो सकती हैं। इस बार आश्विन (शारदीय) महानवरात्र 10 अक्‍टूबर से 18 अक्तूबर तक रहेगी। 18 अक्टूबर को अंतिम नवरात्रि होगी। यानी इस बार एक नवरात्र कम है।

नवरात्रि 2018 : अष्टमी कब है?

शारदीय नवरात्रि 2018 दुर्गा पूजा की अष्टमी 17 अक्टूबर 2018, बुधवार को है। इस दिन महागौरी पूजन के साथ-साथ संधि पूजन और दुर्गा अष्टमी पूजन भी किया जाएगा।

अष्टमी किस दिन है?


2018 में नवरात्रि दुर्गा पूजा की अष्टमी 17 अक्टूबर 2018, बुधवार को है। इस मौके पर कन्या पूजन, हवन और दुर्गा अष्टमी पूजन किया जाता है। साथ ही इस मौके पर दुर्गा पंडालों में दुर्गाष्टमी पूजन भी होता है।

 नवरात्रि (Navratri 2018) का खास पर्व 10 अक्‍टूबर से शुरू हो चुका है।

नवरात्र के इन 9 दिनों भक्‍तजन मां के नौ स्‍वरूपों की पूजा करते हैं तथा आखिरी दिन कन्‍या पूजा कर के इसका समापन करते हैं।

इसका एक प्रचलित नाम कंजक भी है जिसके बिना नवरात्र व्रत को अधूरा माना जाता है। कन्‍या पूजा अष्‍टमी या फ‍िर नवमी के दिन किया जाता है।

यदि कन्‍या पूजन पूरी विधि विधान के साथ ना किया गया तो माता रानी रुष्‍ट हो सकती हैं।

 इस बार आश्विन (शारदीय) महानवरात्र 10 अक्‍टूबर से 18 अक्तूबर तक रहेगी। 18 अक्टूबर को अंतिम नवरात्रि होगी। यानी इस बार एक नवरात्र कम है।

नवरात्रि 2018 : अष्टमी कब है?

शारदीय नवरात्रि 2018 दुर्गा पूजा की अष्टमी 17 अक्टूबर 2018, बुधवार को है।

 इस दिन महागौरी पूजन के साथ-साथ संधि पूजन और दुर्गा अष्टमी पूजन भी किया जाएगा।

अष्टमी किस दिन है?

2018 में नवरात्रि दुर्गा पूजा की अष्टमी 17 अक्टूबर 2018, बुधवार को है।

 इस मौके पर कन्या पूजन, हवन और दुर्गा अष्टमी पूजन किया जाता है। साथ ही इस मौके पर दुर्गा पंडालों में दुर्गाष्टमी पूजन भी होता है।

कन्‍या पूजन करने की विधि-

भविष्यपुराण के अनुसार नवरात्र पर्व के अंत में कन्या पूजन जरूरी माना गया है। कन्‍या पूजने के लिए सबसे पहले मां के चरण छूने चाहिए।

उनके आशीर्वाद से मां की कृपा मिलती है। वे लोग जो नवरात्र में व्रत नहीं कर पाते उन्‍हें मात्र कन्‍य पूजने से ही मां का आशीर्वाद मिल जाता है।

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