navratri pooja vidhi in hindi 2018 - नवरात्रि पूजन विधि 2018

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navratri pooja vidhi in hindi 2018

आज से नवरात्रि शुरू हो गई है। इन 9 दिनों में मां की पूजा, व्रत और उपवास किए जाएंगे, लेकिन आपको इस दौरान कुछ जरुरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।

मार्कंडेय और देवी पुराण के अनुसार देवी पूजा और व्रत-उपवास नियम के अनुसार ही करने चाहिए वरना इनका फल नहीं मिल पाता है।

पुराणों के अनुसार इन नौ दिनों में पूरे संयम से रहना चाहिए और इंद्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए।
ऐसा करने से आध्यात्मिक और शारीरिक शक्ति तो बढ़ती ही है मां दुर्गा भी प्रसन्न होती हैं।

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जानिए कैसे करें पूजा और इन खास बातों का रखे ध्यान -

1 - नवरात्रि के पहले दिन 9 दिनों के व्रत और उपवास का संकल्प लें। इसके लिए सीधे हाथ में जल लेकर उसमें चावल, फूल, एक सुपारी और सिक्का रखें।

हो सके तो किसी ब्राह्मण को इसके लिए बुलाएं। ऐसा न हो सके तो अपनी कामना पूर्ति के लिए मन में ही संकल्प लें और माता जी के चरणों में वो जल छोड़ दें।

2 - इन दिनों व्रत-उपवास में सुबह जल्दी उठकर नहाएं और घर की सफाई करें। पूरे घर में गौमूत्र और गंगाजल का छिड़काव करें।

 उसके बाद माता जी की पूजा करें। पूजा में ताजा पानी और दूध से माता जी को स्नान करवाएं। फिर कुमकुम, चंदन, अक्षत, फूल और अन्य सुगंधित चीजों से पूजा करें और मिठाई का भोग लगाकर आरती करें।

 नवरात्रि के पहले ही दिन घी या तेल का दीपक लगाएं। ध्यान रखें वो दीपक नौ दिनों तक बुझ न पाएं।

3 - व्रत-उपवास में माता जी की पूजा करने के बाद ही फलाहार करें। यानि सुबह माता जी की पूजा के बाद दूध और कोई फल ले सकते हैं।

 नमक नहीं खाना चाहिए। उसके बाद दिनभर मन ही मन माता जी का ध्यान करते रहें। शाम को फिर से माता जी की पूजा और आरती करें।

 इसके बाद एक बार और फलाहार (फल खाना) कर सकते हैं। अगर न कर सके तो शाम की पूजा के बाद एक बार भोजन कर सकते हैं।

4 - माता जी की पूजा के बाद रोज 1 कन्या की पूजा करें और भोजन करवाकर उसे दक्षिणा दें।

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5 - नवरात्रि के दौरान तामसिक भोजन नहीं करें। यानि इन 9 दिनों में लहसुन, प्याज, मांसाहार, ठंडा और झूठा भोजन नहीं करना चाहिए।

6 - इन दिनों में क्षौरकर्म न करें। यानि बाल और नाखून न कटवाएं और शेव भी न बनावाएं। इनके साथ ही तेल मालिश भी न करें। नवरात्रि के दौरान दिन में नहीं सोएं।

7 - नवरात्रि में सूर्योदय से पहले उठें और नहा लें। शांत रहने की कोशिश करें। झूठ न बोलें और गुस्सा करने से भी बचें।

 इसके साथ ही मन में किसी के लिए गलत भावनाएं न आने दें। अपनी इंद्रियों का काबु रखें और मन में कामवासना जैसे गलत विचारों को न आने दें।

8 - नवरात्रि के व्रत-उपवास बीमार, बच्चों और बूढ़ों को नहीं करना चाहिए। क्योंकि इनसे नियम पालन नहीं हो पाते हैं।


भगवान की प्राप्ति की सबसे अनिवार्य शर्त है मन की निर्मलता और उसके प्रति सम्पूर्ण समर्पण।

 यही बात गीता में भगवान श्री कृष्ण ने 18वें अध्याय के अंत में शरणागति पर ही लाकर सभी बातें समाहित कर दी हैं।

 वहीं श्री रामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड की एक चौपाई में भी कहा गया है - निर्मल मन जन सो मोहि पावा ,मोहिं कपट छल छिद्र न भावा, यानी सरल मन से भी भगवान को पाया जा सकता है और उनको छल-कपट बिल्‍कुल पसंद नहीं है।

जहां तक मां दुर्गा की बात है तो वह जगत जननी हैं। वह आदि शक्ति जगदंबा हैं।

 उनका आशीर्वाद प्राप्त करना बहुत आसान है, बशर्ते निर्मल मन और निश्छल भक्ति भाव से माता के चरणों में संसार से अनासक्त तथा पूर्ण भक्ति भाव हो।

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कलयुग केवल नाम अधारा तात्पर्य यह है कि कलयुग में भगवान की प्राप्ति का मात्र एक ही आधार है और वह है नाम का जप।

वैसे नवरात्र में मां का पूजन पूरी व‍िध‍ि और धूम के साथ किया जाता है।

 लेकिन अगर आप रोजाना व‍िस्‍तार से पूजा नहीं कर पाते हैं  यहां बताई गई बातों को ध्‍यान में रखकर आसान तरीके से मां दुर्गा की उपासना कर सकते हैं -

माता के 32 नाम दुर्गाशप्तशती में वर्णित है। पठेत सर्वभायांनमुक्तो भविष्यति न संशयः अर्थात माता के 32 नाम का जो जप करता है उसके भविष्य के बारे में कोई संशय रहता ही नहीं है।

ॐ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे यह माता दुर्गा का मुख्य बीज मंत्र है।

केवल आप इसी मंत्र को पढ़ें, तो केवल इससे ही माता के आशीर्वाद की पूर्णतया प्राप्त होती है।

माता का 108 नाम भी दुर्गाशप्तशती में वर्णित है। यह बहुत अचूक मंत्र है और महा शक्तिशाली है। साथ ही इनका जाप आसान भी है।

 यदि आपकी संस्कृत कमजोर है तो इन नामों को हिंदी में ही पढ़िए। इससे भी वही फल प्राप्त होगा। वहीं जय मां दुर्गा - यह भी महा नाम है।


एक बात बहुत महत्वपूर्ण है,वह यह है कि माता की आरती। यदि हम पूजा में कोई त्रुटि कर देते हैं या मन्त्र के उच्चारण में कोई गलती हो जाय तो आरती इन सब भूलों को माफ करती है।

आरती भव्य होनी चाहिए। आरती के थाल सनातन धर्म के अनुसार सभी आवश्यक द्रव्यों से सुसज्जित हों। साथ ही ध्‍यान रखें क‍ि धूप बत्ती जल रही हो और कपूर की ही आरती हो।

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मनोकामना पूर्ति के ल‍िए पढ़ें ये मंत्र 


अंत में माता से क्षमा याचना करना चाहिए। साथ ही एक मंत्र सभी मनोकामनाएं पूर्ति हेतु अवश्य पढ़ें -

देहि सौभाग्य मारोग्यम देहीमें परमम सुखम
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।

इस मंत्र में सभी मनोकामनाएं समाहित हैं। सौभाग्य, आरोग्य, जय, विजय और अंतः दोषों का शमन।

 इस मंत्र से अपनी सभी कामनाएं माता से आप कह कर अभीष्ट वरदान प्राप्त कर सकते हैं।


इस प्रकार हम निर्मल भक्ति भाव और आसान व‍िध‍ि से मां को प्रसन्न कर सकते हैं।

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